Monday, 13 April 2015

MOVIE REVIEW- NH10

NH10, anushka sharma
MOVIE REVIEW- NH10
Shantanu Majumdar:-


अच्छा एक बात जो इस हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को लेकर बड़ी सुखद हो रही है, वो है इस क्षेत्र में दिन प्रतिदिन औरतों का बढ़ता वजूद। बॉलीवुड में महिला किरदारों का सशक्तिकरण और ज़्यादा महिला प्रधान फिल्मों का बनना निश्चित ही एक बड़े सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है।

और इसी लिस्ट में एक नई एंट्री मारी है अनुष्का शर्मा द्वारा अभिनित और उन्हीं के द्वारा निर्मित NH10 ने।

तो कैसी है ये NH10? कितना प्रभावित करेगी ये फिल्म और कितना सफल रहा अनुष्का का ये दांव.....आइये जानते हैं।

.

कहानी-

मीरा (अनुष्का) और अर्जुन (नील भूपालम) गुडंगांव के रहने वाले हैं। मीरा के जन्मदिन पर अर्जुन उसे नेशनल हाईवे 10 पर एक रोड ट्रिप पर ले जाता है। सफर पर थोड़ा सुस्ताने के लिए दोनो एक ढाबे पर रुकते हैं। तभी वहां दोनो को दिखता है कि कुछ लोग एक लड़के और एक लड़की को ज़बरन मार
पीट कर एक गाड़ी पर बैठा रहे होते हैं। रोकने पर उन लोगों में से सतबीर (दर्शन कुमार) अर्जुन को दूर रहने के लिए कहता है और सबके सामने एक तमाचा जड़ देता है।

अर्जुन अपने साथ हुए इस बेइज़्ज़ति को झेलते हुए मीरा के साथ आगे निकल जाता है। तभी रास्ते में उसे उन लोगों की कार एक बार फिर जंगल की ओर जाते हुए दिखती है और मीरा के लाख मना करने के बावजूद भी अर्जुन उनका पीछा करता है और गाड़ी से निकलकर जंगल की ओर सतबीर और उसके गुट को धमकाने के लिए चला जाता है।

लेकिन वहां जो उसे दिखता है, वो न सिर्फ उसे थर्रा देता है, बल्कि हॉल में बैठे दर्शकों को भी अंदर तक झकझोर देता है। बस फिर यहीं से शुरु होती है अर्जुन, मीरा और उस गुट के बीच की चूहे-बिल्ली की रेस, जो दर्शकों को तो सीट पर बांधे रखती ही है, साथ ही हरियाणा जैसे राज्य में आज भी धड़ल्ले से चल रहे ऑनर किलिंग के मुद्दे को भी खुले तौर पर सबके सामने प्रस्तुत करती है।

.

डायरेक्शन, पटकथा व अन्य विभाग-

सरसरी निगाह से एक बार देखने भर से ही ये निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि ऐसी अनगिनत कहानियां न जाने कितनी बार हॉलीवुड की फिल्मों में देखी होंगी। लेकिन इसके बावजूद भी NH10 देखते वक्त एक बार भी किसी किस्म की बोरियत नहीं महसुस होती है।

दरअसल NH10 की कहानी और पटकथा को जिस धरातल और क्षेत्र को ध्यान में रखकर लिखा गया है, वो इस फिल्म को एक खालिस देसी टच देने में काफी हद तक सफल रहा है। और बिना किसी शक के इस जीत का श्रेय फिल्म के कहानिकार और पटकथा लेखक सुदीप शर्मा को जाता है।

.

अगर कहानिकार और पटकथा लेखक ने फिल्म को देसी बनाने में सफलता पाई है, तो उस कहानी को बेहतरीन ढंग से पर्दे पर उतारने के लिए फिल्म के डायरेक्टर नवदीप सिंह भी काफी प्रशंसा के पात्र हैं। आठ साल पहले Manorama Six Feet Under जैसी उत्कृष्ट थ्रिलर फिल्म देने के बाद नवदीप ने एक बार फिर से बड़ी मज़बूती से इंडस्ट्री में दस्तक दी है।

ज़ाहिर तौर पर ये उनके निर्देशन का कौशल ही है जिसने NH10 को वो ज़रुरी इंटेंस, डार्क और सुनियोजित स्लो पेस प्रदान की है।

.



अभिनय-

डायरेक्शन और कहानी के अलावा फिल्म जिस तीसरे विभाग में निखर के सामने आता है वो है कलाकारों का अभिनय।

सबसे ऊपर अगर किसी को स्थान देना होगा तो वो नाम निश्चित तौर पर अनुष्का शर्मा का ही होगा। गौर करने वाली बात ये भी है कि मिस शर्मा न सिर्फ इस फिल्म की हीरो हैं, बल्कि मुख्य निर्माता भी। दो इतने बड़े भार कंधे पर...तो ज़ाहिर है रिस्क भी काफी बड़ा ही था।

लेकिन सुखद बात ये है कि दोनो ही ज़िम्मेदारीयों को अनुष्का ने बड़ी ही बखूबी से निभाया है।

उनका अभिनय तो दमदार और बेबाक है ही, साथ ही बॉलीवुड की सबसे कम उम्र की निर्माता बन कर वो इस जीत के लिए बधाई की भी पात्र हैं।

विलेन के रुप में दर्शन कुमार का काम भी अच्छा है और सतबीर जैसे जाहिल हरियाणवी लड़के का किरदार उन्होंने काफी प्रभावी ढंग से अदा किया है।

नील भूपालम का किरदार उतना सशक्त भले ही न हो, लेकिन फिर भी मांग के अनुसार उन्होंने अपना किरदार ठीक से डेलिवर किया है।

बाकी किरदारों का काम भी बढ़िया और न्यायपूर्ण ही रहा है।

.

बाकी किसी विभाग के बारे में यहां अलग से चर्चा करने की ज़रुरत नहीं है, क्योंकि फिल्म बाकी बचे क्षेत्रों में भी अच्छी ही है और सभी की मेहनत एक इकाई के तौर पर बड़े पर्दे पर निखर के सामने आई है।

.

आंकलन- 3.5/5

No comments:

Post a Comment