Friday, 25 July 2014

KICK movie - review

                                                                           SHANTANU MAJUMDAR:


कहने की कोई ज़रुरत नहीं है कि ईद और सलमान का रिश्ता बहुत ही पुराना है। वैसे भी बड़े कम सुपरस्टार्स को ये किस्मत नसीब होती है, जहां उसकी फैन फॉलोइंग इतनी लॉयल हो कि उस जनता को अपने स्टार के फिल्म की क्वॉलिटी से नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ अपने चहेते हीरो की स्क्रीन अपीयरेंस से मतलब हो। ऐसी ही एक दमदार शख्सियत है सलमान खान की। इसलिए जब सलमान और उनके फैंस का ये कॉम्बो ईद पर मिलता है तो साल दर साल बॉक्स ऑफिस पर पैसों की सुनामी आ जाती है।
हालांकि सलमान की पिछली फिल्म “जय हो” कुछ खास नहीं कर पाई थी। लेकिन याद रखिएगा कि वो फिल्म ईद पर भी नहीं आई थी।
खैर आईए बात करते हैं इस फिल्म की...

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देवी लाल सिंह (सलमान खान) एक बहुत ही इंटेलीजेंट और हेल्पिंग नेचर का बंदा है। वो कोई भी काम तभी करता है जब उसमे उसे ‘किक’ मिलता है। इसी वजह से वो किसी भी जॉब में ज़्यादा दिन तक नहीं टिक पाता है। खैर इन सबके बीच देवी की ज़िंदगी में शायना (जैकलीन फर्नांडिस) आती है। कहने की कोई ज़रुरत नहीं कि दोनो के बीच में प्यार हो जाता है। फिर एक नाटकिय मोड़ आता है और फिल्म की कहानी दिल्ली से पोलैंड पहुंच जाती है। शायना की लाईफ में अब देवी की जगह हिमांशु (रणदीप हुड्डा) आ चुका है। हिमांशु एक पुलिस वाला है और उसे डेविल (सलमान खान) की तलाश है। डेविल एक बहुत ही शातिर चोर है, जिसने दिल्ली में कई बड़ी चोरीयां की है और उसकी अगली चोरी पोलैंड में है। लेकिन डेविल सिर्फ मज़े के लिए चोरी नहीं करता। इसके पीछे भी एक इंटरेस्टिंग कहानी है। यही कहानी इस फिल्म का बेसिक प्लॉट है।
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अब ये तो बताने की ज़रुरत नहीं है की ये फिल्म तेलुगु की इसी नाम की फिल्म की रीमेक है। तो ज़ाहिर है इसके हिंदी वर्ज़न में भी साउथ की टिपीकल फिल्म मेकिंग का एसेंस आता है।
फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर ऐसा कुछ भी बढ़ा चढ़ाकर बोलने वाला नहीं है। 
ये बतौर डायरेक्टर साजिद नाडियाडवाला की पहली फिल्म है। उनका डायरेक्शन above average है।
फिल्म का स्क्रीनप्ले ही इसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है। क्योंकि किरदारों को गढ़ने का काम फिल्म में बड़े ही बेतरतीब तरीके से किया गया है। और तो और इसकी हद तब हो जाती है जब फिल्म के सबसे मज़बूत किरदार नवाज़ुद्दिन सिद्दिकी (शिव गजरा) को फिल्म में इंटर्वल के बाद इंट्रोड्यूस किया जाता है। अफसोस है कि फिल्म में उनके किरदार को स्क्रीन स्पेस भी काफी कम मिला है। 
जैकलीन का किरदार फिल्म में लंबा ज़रुर है, लेकिन impact न के बराबर है।
इसके अलावा रणदीप, मिथुन, अर्चना पुरन सिंह, सौरभ शुक्ला, संजय मिश्रा और शुमोना ने भी अपना अपना किरदार ठीक ठाक तरीके से निभाया है।
चलिए अच्छी बात ये है कि फिल्म में गानों की संख्या सिर्फ तीन ही है। लेकिन ‘हैंगओवर’ को छोड़कर फिल्म में बाकी दोनो गानों की टाइमिंग बड़ी ही absurd है।
नो वंडर, फिल्म में अगर कोई किरदार इन सब पर छाया रहता है तो वो है सलमान खान का। उनका काम काबिल-ए-तारीफ है। खासकर एक्शन सींस मे वो काफी दमदार लगे हैं।
इनके अलावा फिल्म के दूसरे हीरो के रूप में अगर कोई डिपार्टमेंट stand-out करता है तो वो हैं फिल्म के एक्शन sequences । 
साथ ही फिल्म के डायलॉग राइटर रजत अरोड़ा का काम भी बेहतरीन है। कहना पड़ेगा कि फिल्म के ज़्यादातर डायलॉग्स सीटी-मार हैं। खासकर तब, जब वो डायलॉग्स सलमान या नवाज़ुद्दिन सिद्दिकी के मुंह से निकलते हैं।
हां कहीं कहीं पर फिल्म, ऑडियंस के इमोशंस के साथ अच्छे तरीके से खेलती है।
कुल मिलाकर ये एक टीपिकल ‘सलमान खान no-brainer’ टाईप की फिल्म है।
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Verdict- 2.5/5
Comment- मेरे इस रेटिंग से फिल्म के viewership पर तो कोई भी असर नहीं पड़ने वाला है। आप सब फिल्म देखने जाएंगे तो ज़रुर। तो जाइए, देखिए और खुशी से ईद मनाईए। 
ईद मुबारक !!! 0:-)


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