NIKHIL SRIVASTAVA/-
माया नगरी की माया - बाॅलीवुड
सिनेमा क्या है ?? माया , ऐसी माया जिसे हम छू नहीं सकते। ग्लेमर की माया , पैसों की माया और गिर कर डूबने या गिर के उठने की माया । जैसे जैसे समय बदल रहा है देश का सिनेमा भी बदल रहा है। जब घरों में टी वी नहीं हुआ करते थे तब भी सिनेमा की एैसी लत लोगों में थी कि जहां पर भी एक टीवी या वीसीआर चल जाते थे वहां सिनेमा घर बन जाता था और लोग अपने सारे काम भूला कर अपने कदमों को थाम कर नजरें ग़डा कर टीवी देखने लगते थे । लेकिन आज देश के हर दिल और हर घर में बालीवुड की छवि कही ना कही दिख ही जाती है ।दबंग के बाद पीछे कालर पर चश्मा लटकाने का फैशन तो एक था टाईगर के बाद गले में मुफलर का फैशन । इससे ही पता चलता है कि यही है मायानगरी की माया का जलवा। ये तो रही मायानगरी की बाहर की बात पर अगर हम बालीवुड के अन्दर की बात जानने की कोशिश करें । हर आम आदमी के दिल में कहीं ना कहीं स्टारर्स की तरह चमकने की चाह होती है। उस चाह को पाने के लिये हजारों लोंग मायानगरी मुंबई की ओर रोज रूख करते हैं । दिल में चाह और आशाओं को पूरा करने की ललक । सपनों को पाने के लिये कुछ भी कर गुजरना। पर कुछ लोग कामयाब होतें हैं बाकी कामयाब होके भी ना कामयाब हो जाते है वजह ग्लेमर को संभल ना पाना। लेकिन अपने सपनों को हमेशा उड़ान देने वाले को ही बाजीगर कहते हैं । बालीवुड से अपना एक रिश्ता है और हमेशा रहेगा क्यों यही हमारे समाज का आइना है। और आइने को देख कर ही हम अपने आप को सुधारने की कोशिश करते हैं ।और हम यही चहेंगे की माया नगरी की माया कायम रहे और तरक्की के फूल यहां खिलते रहे ।

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