Monday, 14 April 2014

What about wars in Bollywood?


NIKHIL SRIVASTAVA/-

माया नगरी की माया कौन अपना और कौन पराया ?

सालों से चली आ रही फिल्म इन्डस्ट्री को भगवान ना करे किसी की नज़र लगे, पर एक बात तो जरूर कहूंगा कि यहाँ कौन अपना है और कौन पराया यह पता करना नामुमकिन सा है? कभी किसी की दुश्मनी की खबरें आती हैं तो कभी दोस्ती की । 

 सालों से नामी जोड़ी जिनकी दुश्मनी एक मिसाल थी , लोग कही हो रहे झगड़े  पर कहा करते है कि शाहरूख सलमान की तरह लड़ रहे हैं। 

पर अचानक ही बाबा सिद्दकी की इफतार पार्टी में दोनों गले मिलते नजर आये । जिसे देख दोनों की लडाई को लेकर सोशल नेटवर्किग साइट पर मजे लेने वालों का मुह उतर गया औरउनकी शक्ल एसी हो गयी जैसे नेट कर सर्वर डाउन होने के बाद साइट के खुलने के इन्तजार में हो जाती है। इसके बाद शाहरूख सलमान फिर से एक एवार्ड फन्कसन में गले मिलते दिखाई दिये तो मिडिया में खबरें बन गई की ये कोई पब्लीसिटी सटंट तो नहीं है? पब्लीसिटी सटंट हो या नहीं हो पर एक बात तो तय है कि माया नगरी की माया को समझ पाना मुश्किल ही नही ना मुम्किन है।
 ये तो रहीं सलमान और शाहरूख की बात, पर अापने कैट वार के बारे में सुना होगा?
फिल्म इंडस्ट्री में आयदिन दो हिरोइनों के बीच हो रही लडाई की खबर आपको सुनने को मिल ही जायेगी । पर इनको तेा समझना सेहत के लिये खतरे से खली नहीं है। क्यों इनके उपर तो एक ही कहावत कही जा सकती है। ‘‘आज बैर और कल प्यार‘‘  पब्लीसिटी के लिये हो रहे इस वार और प्यार को सिर्फ हम एन्जोय ही कर सकते है क्योंकि ये समझना मुश्किल है की कौन अपना है और कौन पराया। ये तो बस माया और आँखों का धोखा है। और इनके लिये खबरों में बने रहने का आसान तरीका।
 


Wednesday, 9 April 2014

BOLLYWOOD - BRIEF INTRODUCTION

NIKHIL SRIVASTAVA/-

माया नगरी की माया - बाॅलीवुड


सिनेमा क्या है ?? माया , ऐसी माया जिसे हम छू नहीं सकते। ग्लेमर की माया , पैसों की माया और गिर कर डूबने या गिर के उठने की माया । जैसे जैसे समय बदल रहा है देश का सिनेमा भी बदल रहा है। जब घरों में टी वी नहीं हुआ करते थे तब भी सिनेमा की एैसी लत लोगों में थी कि जहां पर भी एक टीवी या वीसीआर चल जाते थे वहां सिनेमा घर बन जाता था और लोग अपने सारे काम भूला कर अपने कदमों को थाम कर नजरें ग़डा कर
टीवी देखने लगते थे । लेकिन आज देश के हर दिल और हर घर में बालीवुड की छवि कही ना कही दिख ही जाती है ।दबंग के बाद पीछे कालर पर चश्मा लटकाने का फैशन तो एक था टाईगर के बाद गले में मुफलर का फैशन । इससे ही पता चलता है कि यही है मायानगरी की माया का जलवा। ये तो रही मायानगरी की बाहर की बात पर अगर हम बालीवुड के अन्दर की बात जानने की कोशिश करें । हर आम आदमी के दिल में कहीं ना कहीं स्टारर्स की तरह चमकने की चाह होती है। उस चाह को पाने के लिये हजारों लोंग मायानगरी मुंबई की ओर रोज रूख करते हैं । दिल में चाह और आशाओं को पूरा करने की ललक । सपनों को पाने के लिये कुछ भी कर गुजरना। पर कुछ लोग कामयाब होतें हैं बाकी कामयाब होके भी ना कामयाब हो जाते है वजह ग्लेमर को संभल ना पाना। लेकिन अपने सपनों को हमेशा उड़ान देने वाले को ही बाजीगर कहते हैं । बालीवुड से अपना एक रिश्ता है और हमेशा रहेगा क्यों यही हमारे समाज का आइना है। और आइने को देख कर ही हम अपने आप को सुधारने की कोशिश करते हैं ।और हम यही चहेंगे की माया नगरी की माया कायम रहे और तरक्की के फूल यहां खिलते रहे ।

CAPTAIN AMERICA 2 MOVIE REVIEW

 

 SHANTANU MA

 कैप्टन अमेरिका 2  में क्या है खास जानिये शानतनू से-.


यकीन मानिए, बॉलीवुड की much awaited फिल्म “मैं तेरा हीरो” को छोड़कर इस हॉलीवुड flick को देखने की हिम्मत जुटाने में मुझे काफी मशक्कत करनी पड़ी। तो चलिए मिलकर जानते हैं कि कैसा रहा मेरी हिम्मत का फल!!!
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कैप्टन अमेरिका 2 की कहानी वहीं से शुरु होती है जहां एवेंजर्स (फिल्म) का सिलसिला रुकता है। एवेंजर्स कमेटी ‘S.H.I.E.L.D.S’ पर बुरी ताकतों का खतरा मंडरा रहा है और कमेटी के डायरेक्टर निक फ्यूरी की जान खतरे में है। ‘HYDRA’ नाम की ये बुरी संगठन ‘S.H.I.E.L.D.S’ के साथ ही पूरी दुनिया का भी खात्मा कर देना चाहती है। इस मुसीबत से दुनिया और कमेटी को बचाने के लिए कैप्टन अमेरिका (स्टीव रॉजर्स) और ब्लैक विडो (एजेंट नताशा) को साथ मिलकर ये मिशन खत्म करना होगा।
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Marvels के सभी बड़े सुपरहीरोज़ की कतार में देखा जाए तो कैप्टन अमेरिका ही सबसे फीके पड़ते हैं। क्योंकि ना ही तो ये ‘हल्क’ की तरह ताकतवर हैं, ना ही इनकी इमेज ‘आयरन मैन’ जैसी प्लेबॉय टाईप की है और ना ही तो ‘स्पाईडर-मैन’ की तरह इनका कोई दर्द भरा अतीत है। तो अब सवाल ये उठता है कि आखिर किस तरीके से कैप्टन अमेरिका को टिकट खिड़की पर बिकाऊ साबित करें।
बस यहीं पर तेजी से उभरता हुआ एक चेहरा सामने आता है, फिल्म के हीरो कैप्टन अमेरिका (क्रिस इवंस) का। दरअसल ये उनकी अभिनय क्षमता ही है, जो Marvels कड़ी के सबसे फीके हीरो को भी बड़ी मज़बूती से बाकी सुपरहीरोज़ की लाईन में खड़ा करती है। Right from the very first installment of Captain America, ये क्रिस इवंस की परफॉर्मंस ही है जो इस series को बॉक्स ऑफिस पर बिकाऊ और टिकाऊ, दोनो बनाती है।
लेकिन इसका मतलब ऐसा कतई नहीं है कि फिल्म का बाकी स्टाफ हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा हो।
चाहे क्रिस्टोफर-स्टीफन की स्क्रिप्ट हो, हेनरी जैकमैन का बैकग्राउंड स्कोर हो, जेफ्री फोर्ड की एडिटिंग हो या दूसरा कोई विभाग........फिल्म हर मामले में एक दूसरे पर भारी ही पड़ती है।
उसपर से अगर इतना शानदार सपोर्टिंग कास्ट हो तो फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर जीत तो पक्की है।
सैमुयल जैक्सन, स्कारलेट जॉनसन, रॉबर्ट रेडफोर्ड, सेबेस्टीयन स्टैन, कॉबी स्मलडर्स और बाकी की पूरी कास्ट का भी काम काबिल-ए-तारीफ है।
साथ ही फिल्म की सबसे बड़ी USP रही उसकी शानदार technology. भाईसाहब एक बात तो माननी पड़ेगी.........साला हम भारतीय कितनी भी मेहनत कर लें पर हॉलीवुड जैसा धांसु vfx हाल फिलहाल के भविष्य में नहीं बना पायेंगे। वाकई, मजा आ गया ये तकनिक देखकर!!!
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Verdict- 4/5
Comment- फिल्म देखने के बाद वाकई में मुझे ऐसा लगा कि मेरी हिम्मत दिखाने की ‘अक्ल’ काम आ गई। फिल्म का हर फ्रेम, हर शॉट और हर किरदार, चीख चीखकर मेरे फैसले को सही ठहरा रहा था। तो बस अब और क्या चाहिए, मुझे अपने वर्डिक्ट को प्रूफ करने के लिए। तो.......
Go for Captain America!!! Yo……………